प्रवासी पक्षियों की रहस्‍यमय मौत

सैकड़ों मील दूर, महाद्वीपों के पार से हर साल सर्दियों में राजस्‍थान की सांभर झील में आने वाले हजारों प्रवासी पक्षियों को देखना हर पक्षी प्रेमी का सपना होता है। लेकिन इस साल सांभर झील का इलाका एक दुस्‍वप्‍न में बदल गया है। महज 10 दिनों में यहां छोटे-बड़े लगभग 18 हजार पक्षियों की रहस्‍यमय मौत हुई है।
यह संख्‍या इतनी बड़ी है कि सांभर झील देश में अब तक की पक्षियों की सबसे बड़ी सामूहिक कब्र बन गई है। विडंबना यह है कि इस साल मॉनसून में औसत से अधिक बारिश हुई इसलिए बड़ी संख्‍या में प्रवासी पक्षी भारत आ रहे हैं। इस समय सांभर झील में लगभग 1.5 पक्षी हैं और उनकी मौत का सिलसिला जारी है।
यूपी स्थित बरेली के भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) ने राजस्‍थान के सीएम अशोक गहलोत को भेजी रिपोर्ट में एवियन बॉटुलिज्‍म को पक्षियों की मौत की वजह बताया है। यह बैक्‍टीरिया क्‍लॉस्‍ट्रीडियम बॉटुलिनम से पैदा होने वाले जहर के कारण होने वाली एक बीमारी है जो पक्षियों के तंत्रिकातंत्र और उनकी मांसपेशियों को प्रभावित करती है। लेकिन चिंता की बात यह है कि इसके थमने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। बुधवार को 430 और पक्षियों की मौत हो गई।
प्रवासी और स्‍थानीय पक्षियों की होने वाली मौतों के बीच विशेषज्ञ इसके लिए जिम्‍मेदार कारण पर एकमत नजर नहीं आते। लेकिन सब एक बात कह रहे हैं कि अगर जल्‍द ही इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया गया तो और पक्षियों की जान जाएगी। एक अनुमान है कि सितंबर के मध्‍य से फरवरी के अंत तक करीब एक लाख प्रवासी पक्षी यहां आते हैं। पीपल फॉर एनीमल्‍स के स्‍टेट कोऑर्डिनेटर बाबू लाल जाजू कहते हैं, श्इससे पहले कि ठंडे बढ़ने के साथ दूसरे देशों के प्रवासी पक्षी यहां आए हमें कोई समाधान खोजना होगा।श्
अभी कुछ और संस्‍थानों में इस पर परीक्षण चल रहे हैं जिनके नतीजे 22 नवंबर को राजस्‍थान हाई कोर्ट में पेश करने हैं। बैक्‍टीरिया के इन्‍फेक्‍शन के अलावा एक और कारण पर चर्चा हो रही है। यह दूसरा कारण है नमक का प्रभाव। नमक को पक्षियों के लिए जिम्‍मेदार ठहराने वाले विशेषज्ञों का अनुमान है कि पिछले कुछ वर्षों में झील में पानी बहुत कम रह गया था इससे वहां नमक के बड़ी मात्रा में एकत्र होने की आशंका थी। इस साल चूंकि बहुत बारिश हुई इसलिए यह नमक पानी में मिल गया और इसकी अधिकता की वजह से पानी जहरीला हो गया होगा।
फिलहाल, जब तक कोई ठोस नतीजा नहीं आता तब तक मृत पक्षियों के शरीर और कंकालों को हटाया जाना जारी है क्‍योंकि बॉटुलिनम ग्रस्‍त पक्षियों का मांस खाने से यह दूसरे पक्षियों में फैलता है। वहीं यह बैक्‍टीरिया सड़ते हुए मांस में भी फैलता है। बॉटुलिनम के पक्ष में एक और तथ्‍य सामने आया है। सांभर झील में आए फ्लेमिंगो पक्षी इस रोग से बचे हुए हैं ऐसा संभवतरू इसलिए क्‍योंकि वे मांस नहीं खाते इसलिए मृत पक्षियों के शव से उनमें इसका संक्रमण नहीं हुआ है।